Kalaon Ke Teen Shikhar
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‘कलाओं की तीन शिखर’ इस दृष्टि से अभूतपूर्व है यह पुस्तक थिएटर , संगीत और चित्रकला के तीन विश्व प्रसिद्ध अनोखे किरदारों को एक साथ प्रस्तुत करती है। पंद्रहवी सदी में पैदा हुए महान चित्रकार लियोनार्दो दा विंसी, सोलहवीं सदी के विख्यात कवि व नाटककार विलियम शेक्सपियर तथा अठारहवी सदी में जन्मे अनूठे संगीतज्ञ लुडविग वान बीथोवन ने अपने-अपने क्षेत्र में युगान्तकारी परिवर्तन लाकर कैसे हमेशा के लिए उसे बदल डाला, यह किताब इस पर रौशनी डालती है ।
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Description
कलाओं की तीन शिखर
‘कलाओं की तीन शिखर’ इस दृष्टि से अभूतपूर्व है यह पुस्तक थिएटर , संगीत और चित्रकला के तीन विश्व प्रसिद्ध अनोखे किरदारों को एक साथ प्रस्तुत करती है। पंद्रहवी सदी में पैदा हुए महान चित्रकार लियोनार्दो दा विंसी, सोलहवीं सदी के विख्यात कवि व नाटककार विलियम शेक्सपियर तथा अठारहवी सदी में जन्मे अनूठे संगीतज्ञ लुडविग वान बीथोवन ने अपने-अपने क्षेत्र में युगान्तकारी परिवर्तन लाकर कैसे हमेशा के लिए उसे बदल डाला, यह किताब इस पर रौशनी डालती है ।
लियोनार्दो की ‘मोनालिसा’ की रहस्यमय मुस्कुराहट के क्या मायने हैं ? शेक्सपीयर के पात्रों में आत्महत्या की प्रवृत्ति क्यों दिखाई देती है? ‘हैमलेट ‘ क्यों कहता है कि ‘To be or not to be’ ? ‘पूंजी’ की रचना में मार्क्स को कैसे शेक्सपीयर से मदद मिली ?
बीथोवन ने क्यों ऐसी सिंफनियों की रचना की जिसके बाद सुहानी धुनों की दुनिया में लौटना मुश्किल हो गया । बीथोवन की ‘पांचवी सिंफनी’ पर फ्रांसीसी क्रांति का कैसा प्रभाव था? यह किताब इन सब प्रश्नों के उत्तर देती है ।
यह पुस्तिका इन तीनों कलाक़ारों के व्यक्तित्व से परिचित कराते हुए हमें उनके ऐतिहासिक योगदानों से अवगत कराती है ।
‘कलाओं के तीन शिखर’ की भूमिका लिखने वाले हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि नरेश सक्सेना के अनुसार “साहित्यकारों के लिए यह एक अनिवार्य पुस्तक की तरह है ।”
Additional information
ISBN | 9789392342356 |
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