Khandavala Rajavansh: Mithilabhashamaya Itihas

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मिथिला के इतिहास को समझने के लिये यह किताब एक एन्साइक्लोपीडिया है । बिना इस पुस्तक के तिरहुत का इतिहास अधुरा माना जाएगा ।

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ISBN-9788194984528 , , ,

Description

खण्डवला राजवंश : मिथिलाभाषामय इतिहास – पुस्तक परिचय

विदेह, तिरहुत या फिर कहें मिथिला । भारत नेपाल में फैले इस इलाके का आधुनिक इतिहास बहुत कम लिखा गया है । 20वीं सदी के पूर्वाद्ध में महामहोपाध्यासय पंडित मुकुन्द झा ‘बख्शी’ की यह किताब प्रकाशि‍त हुई थी । ‘मिथिलाभाषामय इतिहास’ नाम से प्रसिद्ध इस किताब में मूल रूप से मिथिला के अंतिम राजवंश यानी खंडवला राजवंश का विस्तृत इतिहास लिखा गया है । लेकिन उससे पूर्व के दो राजवंशों यानी कर्णाट और ओइनिवार राजवंश के सम्बन्ध में भी संक्षिप्त जानकारी दी गई है ।

20वीं शताब्दी के पूर्वाद्ध में प्रकाशित यह किताब बहुत दिनों से अनुपलब्ध थी । कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पंडित शशिनाथ झा ने अथक परिश्रम कर इस पुस्तक को संपादित करने का काम किया है । उन्होनें इस पुस्तक के सभी संस्कृत श्लोकों का न केवल अनुवाद किया बल्कि इस पोथी के मैथिली और फारसी के कठिन शब्दों का अनुवाद कर पाठकों के लिये इसे अधि‍क ग्राह्य बना दिया है । यह किताब मिथिला के इतिहास को जानने के इच्छुक लोगों के लिये निश्चि‍त ही गीता का काम करेगी ।

 

ISBN

9788194984528

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