Mansaushadhi (मांसौषधि – मांसाहार के आयुर्वेद-संदर्भ)
₹699.00
हाल के वर्षों में हो रहे तमाम सामाजिक राजनीतिक आर्थिक टकरावों के बीच वह बुद्धिज्म की ओर आकर्षित हुए और वैदिक व्यवस्था, श्रमण व्यवस्था, वैष्णववाद, शैववाद, सनातन धर्म, हिन्दू धर्म सहित विभिन्न व्यवस्थाओं के बारे में अध्ययन किया,जिसमें भारत में रहने वाले लोगों के खानपान, रहन-सहन चिकित्सा प्रणाली जैसे व्यापक विषय शामिल हैं। शाकाहार बनाम मांसाहार और खानपान को लेकर हिंसक बहस ने उन्हें भारत में मांसाहार पर अध्ययन करने को प्रेरित किया। शाकाहार के प्रबल पैरोकार सत्येन्द्र ने आयुर्वेद में मांस और मांसौषधियों का अध्ययन किया जिसमें मांसाहार को लेकर उनकी खुद की तमाम भ्रांतियां टूटी हैं। उम्मीद है कि आयुर्वेद और चिकित्सा के अध्येताओं और आम पाठकों के लिए सरल और बोधगम्य तरीके से लिखी गई यह पुस्तक उपयोगी व ज्ञानवर्धक होगी।
Description
सत्येन्द्र पीएस पिछले ढाई दशक से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। 13 मई 1975 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में जन्मे सत्येन्द्र ने पीएस सेंट एंड्रयूज कॉलेज से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर किया, काशी हिंदू विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर की डिग्री ली। अखबार टीवी की पत्रकारिता करते हुए वह डेढ़ दशक से आर्थिक पत्रकारिता में सक्रिय हैं। हाल के वर्षों में हो रहे तमाम सामाजिक राजनीतिक आर्थिक टकरावों के बीच वह बुद्धिज्म की ओर आकर्षित हुए और वैदिक व्यवस्था, श्रमण व्यवस्था, वैष्णववाद, शैववाद, सनातन धर्म, हिन्दू धर्म सहित विभिन्न व्यवस्थाओं के बारे में अध्ययन किया,जिसमें भारत में रहने वाले लोगों के खानपान, रहन-सहन चिकित्सा प्रणाली जैसे व्यापक विषय शामिल हैं। शाकाहार बनाम मांसाहार और खानपान को लेकर हिंसक बहस ने उन्हें भारत में मांसाहार पर अध्ययन करने को प्रेरित किया। शाकाहार के प्रबल पैरोकार सत्येन्द्र ने आयुर्वेद में मांस और मांसौषधियों का अध्ययन किया जिसमें मांसाहार को लेकर उनकी खुद की तमाम भ्रांतियां टूटी हैं। उम्मीद है कि आयुर्वेद और चिकित्सा के अध्येताओं और आम पाठकों के लिए सरल और बोधगम्य तरीके से लिखी गई यह पुस्तक उपयोगी व ज्ञानवर्धक होगी।
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