Renaissance – Bhartiya Navjagran Kee Dastaan
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रिनैशाँ अगर यूरोप में हुआ, तो भारत में यह एक सतत प्रक्रिया रही। यह मानना उचित नहीं कि भारत उस समय सो रहा था।
पेशे से डॉक्टर लेकिन मन से लेखक प्रवीण झा की यह किताब भारतीय इतिहास में रूचि रखने वालों के लिये एकदम सटीक किताब है । शोधार्थी भी इस पुस्तक से निश्चित ही लाभान्वित होंगे ।
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Description
रिनैशाँ : भारतीय नवजागरण की दास्तान – पुस्तक परिचय
अंग्रेजों के आने के बाद कुछ स्थायी बदलाव ज़रूर हुए। एक तरफ़ वह भारतीयों में हीन-भावना दे गए, वहीं दूसरी तरफ़ कुछ ऊँघती सभ्यता को जगाया। भारत को यह अहसास हुआ कि उनकी संस्कृति हज़ारों वर्ष पुरानी है, इसका यह अर्थ नहीं कि यह आधुनिक दुनिया से परे है। भारत के पास ऐसे कई सूत्र हैं, जिसने आधुनिक दुनिया के निर्माण में महती भूमिका निभाई है। चाहे कला हो, विज्ञान हो, धर्म हो, संगीत हो, शिक्षा हो, हर क्षेत्र में भारत ने एक सदी के दौरान ऊँचाइयाँ पायी।
अक्सर इसे बंगाल रिनैशाँ भी कहा जाता है, लेकिन यह सिर्फ़ बंगाल तक सीमित नहीं था। न ही यह एक धर्म या एक जाति तक सीमित था। यह अखिल भारतीय नवजागरण था।
Bonzuri Prime की नयी पेशकश इतिहास के इसी मील के पत्थर से गुजरती है।
मुख्य अंश Highlights
★ रॉयल एज़ीऐटिक सोसाइटी Royal Asiatic Society
★ मकाले Lord Macaulay
★ गेन्तु संहिता Gentoo Law
★ ईसाई मिशनरी Christian Missionary
★ विवेकानंद Vivekanand
★ दयानंद सरस्वती और आर्य समाज Dayanand Saraswati and Arya Samaj
★ राजा राम मोहन रॉय और ब्रह्म समाज Raja Rammohun Roy and Brahmo Samaj
★ सती प्रथा Sati
★ ईश्वर चंद्र विद्यासागर Ishwar Chandra Vidyasagar
★ माइकल मधुसूदन दत्त Michael Madhusudan Dutt
★ रवींद्र नाथ टैगोर Rabindra Nath Tagore
★ जगदीश चंद्र बोस Jagdish Chandra Bose
★ नारायण गुरु Narayan Guru
★ ज्योतिबा फुले Jyotiba Phule
★ सर सय्यद अहमद खान Sir Sayyad Ahmad Khan
★ श्रीनिवास रामानुजन Shrinivas Ramanujan
★ बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय Bankim Chandra Chatterjee
★ मुस्लिम नवजागरण Muslim Renaissance
★ डेरोज़ीयो Derozio
★ शिकागो भाषण Chicago Speech
Additional information
ISBN | 9788194984511 |
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