Fiction

Ujale Ki Or By Minni Mishra

Fiction

Ujale ki Or

Original price was: ₹199.00.Current price is: ₹189.00.
मिन्नी मिश्रा की पहचान एक ऐसे स्‍वतंत्र लेखिका के रूप में है जिनकी कहानियों में स्‍त्री विमर्श का स्‍वर मुखर होकर निकलता है । इनकी कई सारी कहानियाँ विभिन्‍न मंचों पर प्रकाशित हो चुकी है । साथ ही साथ आकाशवानी पटना में भी इनकी कहानियों का पाठ हो चुका है । अहा जिंदगी, सुरभि, नूतन कहानियाँ, हिन्दुस्तान आदि कई पत्र-पत्रिकाओं में इनकी कहानियाँ प्रकाशित हो चुकी है । प्रस्तुत किताब 83 लघुकथाओं का संग्रह है जिसमें स्त्री विमर्श का स्‍वर मुखरता से उभर रहा है । इन कहानियों में ज्यादातर कामकाजी महिलाओं का चित्रण हुआ है ।  
Mujhmen Dilli Basta hai

Fiction

मुझमें दिल्ली बसता है

Original price was: ₹299.00.Current price is: ₹248.00.
मुझमें दिल्ली बसता है सनीश का जन्म  1986 में, जहानाबाद बिहार में हुआ था तथा वे अभी बिलासपुर (छतीसगढ़) में रहते हैं । उनकी कहानियाँ सोशल मीडिया व ऑनलाइन प्लेटफर्म्स पर पसंद की जाती रही है । सनीश ने हिन्दी साहित्य में पीएचडी की है । उन्हे यूजीसी जूनियर रिसर्च फ़ेलोशिप (जेआरएफ) तथा अनुवाद में गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग द्वारा सिल्वर मेडल प्राप्त है । उन्होंने आईआईएम अहमदाबाद से कम्युनिकेशन व आईआईएम कोलकाता से बिजनेस लीडरशिप पर कोर्स किया है । वे कोल इंडिया में पब्लिक रिलेशंस ऑफ़ि‍सर की नौकरी कर रहे हैं और इससे पहले इंडियन एयर फोर्स में काम किया है । लिखने के अलावा उन्हे रंनिग पसंद है । वे देश के विभिन्न  हिस्सों में होने वाले मैराथन में भाग लेते रहते हैं । मुझमें दिल्ली बसता है । सनीश की कहानी संग्रह की नई किताब है । सनीश ने पुरे मनोयोग से कहानियों को लिखा है जिसका हरेक पात्र आपको अपने आप से जुड़ा लगेगा । कहानी में रस और प्रवाह है तथा यह पाठकों को निश्चित रूप से पसंद आयेगी ।  
Moh Maithili Upnyas By Dr. Sunita Jha

Fiction

मोह – मैथिली उपन्यास

Original price was: ₹399.00.Current price is: ₹319.00.
यह प्री ऑर्डर है । किताब 25 जून से भेजी जायेगी । उपनिषदक आदेश अछि- “प्रजातन्तुं मा व्यवच्छेत्सीः” अर्थात् ओहि प्रजा-सूत्र केँ नहि तोड़ी। की थिक ई प्रजासूत्र? पिता, पितामह, प्रपितामह, पुत्र, पौत्र, प्रपौत्र आ एकर बीचक पीढ़ीपर ठाढ़ स्वयं ओ व्यक्ति- इएह सात पीढ़ी एक ईकाई थीक। ओकर बीच सम्बन्ध आ ओकर संसार प्रजातन्तु थीक, जकरा ‘मोह’ जोड़ने रहैत अछि। ई मोह जतेक मजबूत रहत, ओ प्रजा-तन्तु ओतेक निस्सन रहत। एही मोहकेँ अक्षुण्ण रखबाक आदेश देल जाइत अछि। इएह मोह एहि उपन्यासक केन्द्रीय भाव थीक आ उपन्यासक नायकक नाम सेहो। आइ उन्नतिक मोल पर परिवार टुटि रहल अछि। ग्लोबलाइजेशन एकटा सुरसा जकाँ सभटा सम्बन्ध आ मोहकेँ गीड़ि रहल अछि। एक दिस वृद्ध-वृद्धाक लेल बनल आश्रम सभ विकास कए रहल अछि तँ दोसर दिस बाबाक सारा पर लागल आमक गाछ सुखा रहल अछि। एहि ‘कंट्रास्ट’क बीच ई उपन्यास आगाँ बढ़ैत अछि आ एही ‘क्लाइमैक्स’ पर आबि एकर अंत सेहो भए जाइत अछि। बीचमे कतेको मोह अबैत अछि– अपन लोथ भाइक लेल वीणाक मोह, अपन दारूपीबा भाइक जीवन बचएबाक लेल वीणाक मोह, अपन भाउजिकेँ अतीतमे देल गेल वचनक पालन करबाक लेल विवश पंडितजीक मोह, बालाक विवाह नीक जकाँ करएबाक लेल कटिबद्ध मोहक मोह– सभटाक मोहक जालकेँ नीकसँ बिनैत, ओकर तानी-भरनी केँ सक्कत बनबैत मोह आ वीणा एहि उपन्यासक नायक-नायिका बनल अछि। प्रकाश, कनक आ आन कतेको देयाद-बाद एकरा नहिं निमाहि सकल छथि। ई उपन्यास आदर्शवादी अछि। अन्हारमे दीप जरएबाक काज करैत अछि। उपन्यासमे सभठाम आशावाद छैक, ओहि प्रजातन्तुकेँ सक्कत बनएबाक प्रयास छै। वीणा अपन पुस्तैनी डीह पर गाछ लगबैत छथि, एही आशासँ जे विदेशमे रहैत हुनक धियापुता छुट्टीमे किछुओ दिनक लेल गाम आओत आ ओही सूत्रसँ बँधाएल रहत। उपन्यासक क्लाइमैक्समे मोह जखनि ओहि प्रजातन्तुकेँ सक्कत होइत देखैत छथि तँ निश्चिन्त भए जाइत छथि आ बाबाक सारा पर सबा सए वर्ष पूर्वक लागल गाछ केँ तिलांजलि दैत छथि, किएक तँ हुनका छह टा गाछ रोपबाक सार्थकता भेटि जाइत छनि, अपन पौत्र सभक लेल, अपन भविष्यक लेल। आइ टुटैत समाज, टुटैत परिवारक बीच सभकेँ मोहक बंधनमे जोड़बाक लेल संघर्ष करैत मोहक प्रति वीणाक शब्दमे लेखिकाक उक्ति सार्थक छनि- “बड़ सोचि कए अहाँक नाम पूर्वजलोकनि रखलन्हि। गाम-घर, सर-समाज, बन्धु-बांधव, पूर्वज, संतति, गाछ-वृक्ष, पशु-पक्षी सभमे अहाँक नाम अछि।” इएह मोह उपन्यासकेँ सार्वजनिक बनबैत अछि, व्यापक बनबैत अछि आ साहित्य बनबैत अछि।
Garbhnal Manjit Thakur

Fiction

Garbhnal by Manjit Thakur

Original price was: ₹399.00.Current price is: ₹349.00.
एक दुर्घटना का शिकार हुए अभिजीत को अचानक पता लगता है कि उसकी जिंदगी से सात साल गायब हो चुके हैं. इन सात सालों में दुनिया बदल गई थी, देश-समाज-सरकार में परिवर्तन आ गया था और बदल गए थे लोग! उसकी प्रेमिका मृगांका भी किसी और हो चुकी थी. अभिजीत की जिंदगी में अब गिनती की सांसे बची हैं और तब वह गृहनगर और पैतृक इलाके में अपनी जड़ों की खोज-यात्रा में निकल पड़ता है. वह अपने अंतिम दिनों में उन इलाकों को एक बार देख लेना चाहता है जहां उसका बचपन गुजरा है. और तब उसको उन स्थानों के लोकदेवता (डेमी-गॉड्स) प्रत्यक्ष दिखने लगते हैं. साथ ही, वह वर्तमान और अतीत की सदेह यात्रा करने लगता है. उसके जीवन बचाने की एक दैवीय शर्त होती है, जिसको पूरा करने के लिए आगे आती है उसकी प्रेमिका मृगांका, जो अब भी उसकी प्रतीक्षा में होती है.