History
हाल के वर्षों में हो रहे तमाम सामाजिक राजनीतिक आर्थिक टकरावों के बीच वह बुद्धिज्म की ओर आकर्षित हुए और वैदिक व्यवस्था, श्रमण व्यवस्था, वैष्णववाद, शैववाद, सनातन धर्म, हिन्दू धर्म सहित विभिन्न व्यवस्थाओं के बारे में अध्ययन किया,जिसमें भारत में रहने वाले लोगों के खानपान, रहन-सहन चिकित्सा प्रणाली जैसे व्यापक विषय शामिल हैं। शाकाहार बनाम मांसाहार और खानपान को लेकर हिंसक बहस ने उन्हें भारत में मांसाहार पर अध्ययन करने को प्रेरित किया। शाकाहार के प्रबल पैरोकार सत्येन्द्र ने आयुर्वेद में मांस और मांसौषधियों का अध्ययन किया जिसमें मांसाहार को लेकर उनकी खुद की तमाम भ्रांतियां टूटी हैं। उम्मीद है कि आयुर्वेद और चिकित्सा के अध्येताओं और आम पाठकों के लिए सरल और बोधगम्य तरीके से लिखी गई यह पुस्तक उपयोगी व ज्ञानवर्धक होगी।