Mithila Ki Sanskrtika Lok Citrakala

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पण्डित लक्ष्मीनाथ झा विरचित ‘मिथिला की सांस्कृतिक लोकचित्रकला’ अपनी कतिपय विशेषताओं के कारण कला-जगत की एक अनुपम कृति है। मिथिला की लोककला से सम्बद्ध 45 रंगीन चित्रों से सुसज्जित तथा  वैदिक, पौराणिक, तांत्रिक एवं कतिपय अन्य शास्त्रीय प्रमाणों से सम्पुष्ट तथ्यों के आधार पर विगत सदी के छठे दशक के आरम्भिक कालखण्ड में रचित व प्रकाशित एक कालजयी पुस्तक है ।

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Description

मिथिला की सांस्कृतिक लोकचित्रकला

 

पण्डित लक्ष्मीनाथ झा विरचित ‘मिथिला की सांस्कृतिक लोकचित्रकला’ अपनी कतिपय विशेषताओं के कारण कला-जगत की एक अनुपम कृति है। मिथिला की लोककला से सम्बद्ध 45 रंगीन चित्रों से सुसज्जित तथा  वैदिक, पौराणिक, तांत्रिक एवं कतिपय अन्य शास्त्रीय प्रमाणों से सम्पुष्ट तथ्यों के आधार पर विगत सदी के छठे दशक के आरम्भिक कालखण्ड में रचित व प्रकाशित यह कालजयी पुस्तक भारत के प्रथम राष्ट्रपति स्वनामधन्य देशरत्न डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, द्वितीय राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, बिहार के तत्कालीन राज्यपाल एम. अनन्तशयनम आय्यंगार, हुमायूँ कबीर, अन्तर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त कला-मर्मज्ञ व समीक्षक स्वनामधन्य राय कृष्णदास, कालूलाल श्रीमाली, कला-पारखी महाराजाधिराज डॉ.सर कामेश्वर सिंह तथा अन्य कई प्रख्यात हस्तियों द्वारा न केवल प्रशंसित-अनुशंसित रही है, अपितु उन्होंने इस अनूठी कृति की सार्वकालिक प्रासङ्गिकता व उपयोगिता पर बल दिया है। आञ्चलिक कलाओं में अपनी एक पृथक व विशिष्ट पहचान रखने वाली यह पुस्तक न केवल कलाप्रेमियों के लिए, अपितु लोककला के अध्येताओं एवं शोधार्थियों के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण है।

 

 

ISBN

9788195123544

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