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Cultural Contours of Mithila

History

Cultural Contours of Mithila

Original price was: ₹499.00.Current price is: ₹479.00.
This book contains unpublished lectures and articles related to the society of Mithila, by late Dr Hetukar Jha, professor and HoD Sociology, Patna University. works were discovered among his documents. The book includes a short life sketch of the scholar who devoted his life to the service of the state and his region and the last interview containing his views on areas of concern for researchers on Bihar. The scholars, students and people in general, interested in issues concerning Mithila, would find them useful.
Garbhnal Manjit Thakur

Fiction

Garbhnal by Manjit Thakur

Original price was: ₹399.00.Current price is: ₹349.00.
एक दुर्घटना का शिकार हुए अभिजीत को अचानक पता लगता है कि उसकी जिंदगी से सात साल गायब हो चुके हैं. इन सात सालों में दुनिया बदल गई थी, देश-समाज-सरकार में परिवर्तन आ गया था और बदल गए थे लोग! उसकी प्रेमिका मृगांका भी किसी और हो चुकी थी. अभिजीत की जिंदगी में अब गिनती की सांसे बची हैं और तब वह गृहनगर और पैतृक इलाके में अपनी जड़ों की खोज-यात्रा में निकल पड़ता है. वह अपने अंतिम दिनों में उन इलाकों को एक बार देख लेना चाहता है जहां उसका बचपन गुजरा है. और तब उसको उन स्थानों के लोकदेवता (डेमी-गॉड्स) प्रत्यक्ष दिखने लगते हैं. साथ ही, वह वर्तमान और अतीत की सदेह यात्रा करने लगता है. उसके जीवन बचाने की एक दैवीय शर्त होती है, जिसको पूरा करने के लिए आगे आती है उसकी प्रेमिका मृगांका, जो अब भी उसकी प्रतीक्षा में होती है.
Praveen Jha JP Renaissance Dastan E Pakistan Combo

History

JP, Renaissance & Dastan-E-Pakistan Combo

Original price was: ₹647.00.Current price is: ₹499.00.
जेपी,  रिनेशाँ और दास्तान-ए-पाकिस्तान डॉ प्रवीण झा की किताब है । प्रवीण झा वर्तमान में नॉर्वे में विशेषज्ञ चिकित्सक हैं । लेकिन इन्‍हे अपनी रचनाओं में कठिन चीजों को भी आसानी से समझा पाने की कला है । इतिहास को केन्द्र  में रखकर लिखी गई यह तीनो पुस्तक इतनी रुचिकर है कि आप सहज ही आनंदित हो उठेंगे । भारतीय नवजागरण,  जेपी के समाजवाद और पाकिस्‍तान के बंटवारे के बाद के इतिहास को समझने के लिये इससे अच्छी  पुस्तक इतनी आसान भाषा में अन्य कहीं मिल पाना मुश्किल है । काँम्बो के रूप में यह तीनों पुस्तक पाठकों के विशेष मांग पर एक साथ उपलब्ध है । All books are shipped within 2-3days of receiving an order
Khandwala Rajvansha, Mithilabhashamay itihas

History

Khandavala Rajavansh: Mithilabhashamaya Itihas

Original price was: ₹599.00.Current price is: ₹500.00.
मिथिला के इतिहास को समझने के लिये यह किताब एक एन्साइक्लोपीडिया है । बिना इस पुस्तक के तिरहुत का इतिहास अधुरा माना जाएगा । All books are shipped within 2-3 days of receiving an order.
Maithili UGC NET, UGC NET GUIDE Book, Maithili NTA NET

Non Fiction

Maithili NTA/UGC/NET/JRF मैथिली यूजीसी नेट/जेआरएफ

Original price was: ₹499.00.Current price is: ₹449.00.
ई पोथी एनटीए/यूजीसी नेट केर नबका सिलेबस पर आधारित अछि जाहिमे छोट-छोट विषय बिन्दुकेँ ध्यान राखल गेल अछि । एकर नीक जेना पाठन आ मननसँ छात्र लोकनि निश्चित रूपेण सफलता प्राप्त करताह । एहिमे प्रत्‍येक अध्‍यायकेँ विस्‍तारसँ बताओल गेल अछि संगे मॉडल प्रश्‍नपत्र सेहो देल गेल अछि  जाहिसँ अभ्‍यासमे सुविधा होएत ।
Mansaushadhi

History

हाल के वर्षों में हो रहे तमाम सामाजिक राजनीतिक आर्थिक टकरावों के बीच वह बुद्धिज्म की ओर आकर्षित हुए और वैदिक व्यवस्था, श्रमण व्यवस्था, वैष्णववाद, शैववाद, सनातन धर्म, हिन्दू धर्म सहित विभिन्न व्यवस्थाओं के बारे में अध्ययन किया,जिसमें भारत में रहने वाले लोगों के खानपान, रहन-सहन चिकित्सा प्रणाली जैसे व्यापक विषय शामिल हैं। शाकाहार बनाम मांसाहार और खानपान को लेकर हिंसक बहस ने उन्हें भारत में मांसाहार पर अध्ययन करने को प्रेरित किया। शाकाहार के प्रबल पैरोकार सत्येन्द्र ने आयुर्वेद में मांस और मांसौषधियों का अध्ययन किया जिसमें मांसाहार को लेकर उनकी खुद की तमाम भ्रांतियां टूटी हैं। उम्मीद है कि आयुर्वेद और चिकित्सा के अध्येताओं और आम पाठकों के लिए सरल और बोधगम्य तरीके से लिखी गई यह पुस्तक उपयोगी व ज्ञानवर्धक होगी।
Mithila EK Khoj Esamaad Prakashan front

History

Mithila Ek Khoj

Original price was: ₹499.00.Current price is: ₹450.00.
A lecture series dedicated to the great literary figure of Mithila - Acharya Ramanath Jha. The book sheds light on various topics that are associated with the said regions and are of great historical value with national importance. All books are shipped within 2-3 days of receiving an order.  
Nitish Ke Sath Yatrayen

History

Nitish Ke Sath Yatrayen

Original price was: ₹549.00.Current price is: ₹499.00.
यह किताब नीतीश कुमार और उनके शासन व्‍यवस्‍था को समझने के लिये एक एनसाइक्‍लोपीडि‍या की तरह है। नीतीश कुमार ने अपने राजनैतिक जीवन के दौरान जितनी भी यात्राएं की है इसमें उनका विस्‍तार दिया गया है। अगर राजनीति में रूचि है तो इस किताब को एकबार जरूर पढ़ना चाहिये ।
Social History of Mithila

History

Social History of Mithila

Original price was: ₹350.00.Current price is: ₹349.00.
With a fresh perspective, the book’s core strength lies in its use of hitherto untapped source material for reconstructing a relatively neglected period of Mithila’s history, 14th to 16th century. The period is significant for Maithil society as the social divisions crystallized in new forms. The book particularly focuses on two groups—Maithil Brahmins and Karna Kayasthas—to study this crystallization. Towards this end, the author elaborately discusses ‘panji’ texts (the corpus that deal with genealogical records of specific sections of maithil Brahmins and kayasthas). Perhaps, this was the first time, a historian used Panji accounts in such a detailed manner when the book was orginally written as a doctoral thesis in 1969.
Moh Maithili Upnyas By Dr. Sunita Jha

Fiction

मोह – मैथिली उपन्यास

Original price was: ₹399.00.Current price is: ₹319.00.
यह प्री ऑर्डर है । किताब 25 जून से भेजी जायेगी । उपनिषदक आदेश अछि- “प्रजातन्तुं मा व्यवच्छेत्सीः” अर्थात् ओहि प्रजा-सूत्र केँ नहि तोड़ी। की थिक ई प्रजासूत्र? पिता, पितामह, प्रपितामह, पुत्र, पौत्र, प्रपौत्र आ एकर बीचक पीढ़ीपर ठाढ़ स्वयं ओ व्यक्ति- इएह सात पीढ़ी एक ईकाई थीक। ओकर बीच सम्बन्ध आ ओकर संसार प्रजातन्तु थीक, जकरा ‘मोह’ जोड़ने रहैत अछि। ई मोह जतेक मजबूत रहत, ओ प्रजा-तन्तु ओतेक निस्सन रहत। एही मोहकेँ अक्षुण्ण रखबाक आदेश देल जाइत अछि। इएह मोह एहि उपन्यासक केन्द्रीय भाव थीक आ उपन्यासक नायकक नाम सेहो। आइ उन्नतिक मोल पर परिवार टुटि रहल अछि। ग्लोबलाइजेशन एकटा सुरसा जकाँ सभटा सम्बन्ध आ मोहकेँ गीड़ि रहल अछि। एक दिस वृद्ध-वृद्धाक लेल बनल आश्रम सभ विकास कए रहल अछि तँ दोसर दिस बाबाक सारा पर लागल आमक गाछ सुखा रहल अछि। एहि ‘कंट्रास्ट’क बीच ई उपन्यास आगाँ बढ़ैत अछि आ एही ‘क्लाइमैक्स’ पर आबि एकर अंत सेहो भए जाइत अछि। बीचमे कतेको मोह अबैत अछि– अपन लोथ भाइक लेल वीणाक मोह, अपन दारूपीबा भाइक जीवन बचएबाक लेल वीणाक मोह, अपन भाउजिकेँ अतीतमे देल गेल वचनक पालन करबाक लेल विवश पंडितजीक मोह, बालाक विवाह नीक जकाँ करएबाक लेल कटिबद्ध मोहक मोह– सभटाक मोहक जालकेँ नीकसँ बिनैत, ओकर तानी-भरनी केँ सक्कत बनबैत मोह आ वीणा एहि उपन्यासक नायक-नायिका बनल अछि। प्रकाश, कनक आ आन कतेको देयाद-बाद एकरा नहिं निमाहि सकल छथि। ई उपन्यास आदर्शवादी अछि। अन्हारमे दीप जरएबाक काज करैत अछि। उपन्यासमे सभठाम आशावाद छैक, ओहि प्रजातन्तुकेँ सक्कत बनएबाक प्रयास छै। वीणा अपन पुस्तैनी डीह पर गाछ लगबैत छथि, एही आशासँ जे विदेशमे रहैत हुनक धियापुता छुट्टीमे किछुओ दिनक लेल गाम आओत आ ओही सूत्रसँ बँधाएल रहत। उपन्यासक क्लाइमैक्समे मोह जखनि ओहि प्रजातन्तुकेँ सक्कत होइत देखैत छथि तँ निश्चिन्त भए जाइत छथि आ बाबाक सारा पर सबा सए वर्ष पूर्वक लागल गाछ केँ तिलांजलि दैत छथि, किएक तँ हुनका छह टा गाछ रोपबाक सार्थकता भेटि जाइत छनि, अपन पौत्र सभक लेल, अपन भविष्यक लेल। आइ टुटैत समाज, टुटैत परिवारक बीच सभकेँ मोहक बंधनमे जोड़बाक लेल संघर्ष करैत मोहक प्रति वीणाक शब्दमे लेखिकाक उक्ति सार्थक छनि- “बड़ सोचि कए अहाँक नाम पूर्वजलोकनि रखलन्हि। गाम-घर, सर-समाज, बन्धु-बांधव, पूर्वज, संतति, गाछ-वृक्ष, पशु-पक्षी सभमे अहाँक नाम अछि।” इएह मोह उपन्यासकेँ सार्वजनिक बनबैत अछि, व्यापक बनबैत अछि आ साहित्य बनबैत अछि।