Krishnakali Tatha Anya Kahaniyan

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कृष्णकली तथा अन्य कहानियाँ राजशेखर बसु ‘परशुराम’ कृत विभिन्न कहानियों का संग्रह है जिसमें हास्य है तो समाज के विभिन्न वर्गों की सोच को आईना भी दिखाती है। बहुत ही सरल शब्दों में लिखी गयी लघु कथाएँ जो क्लासिक होने के बावजूद आज के समाज को भी परिदर्शित करती प्रतीत होती है।

 

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ISBN-9788194984542 ,

Description

कृष्णकली तथा अन्य कहानियाँ – पुस्तक परिचय

विभाजन के बावजूद बंगाल और बिहार आज भी कई मायनों में एक है। तभी तो बंगाल की कथा कहानियों में हमेशा बिहार की मिट्टी का सुगंध घुला रहता है। बंगाल के प्रसिद्ध लेखक राजशेखर वासु की पुस्तक कृष्णकली में भी बिहार और बंगाल दोनों राज्यों का उल्लेख पाया गया है।  हो भी क्यूँ ना लेखक की प्रारम्भिक शिक्षा बिहार के दरभंगा जिले में हुई तो उच्च शिक्षा बंगाल के कोलकता में हुई। साथ ही महाभारत कालीन कहानियों ने पुस्तक को समृद्ध किया है। आलोचकों का कहना है कि कृष्णकली बंगाल व बिहार की सभ्यता संस्कृति, पौराणिक कथाओं से लेकर विनोदन का संपूर्ण समाहार है।

लेखक राजशेखर बासु को उनकी कृतियों के लिए कई पुरस्कारों से नवाज़ा गया। 1955 में ʼकृष्णकली और अन्य कहानियांʼको रवीन्द्र पुरस्कार दिया गया। 1956 में ʼपद्मभूषणʼसे भी सम्मानित किया गया। 1957 में जादवपुर विश्वविद्यालय द्वारा डी॰लिट॰की उपाधि प्रदान की गयी और 1958 में ʼआनंदीबाई और अन्य कहानियांʼके लिए ʼअकादमी पुरस्कारʼ से सम्मानित किया गया।

इस पुस्तक में कुल 11 कहानियां हैं। इन सभी में पाठकों के उत्साह, रूचि का ख्याल रखते हुए तत्कालीन समाज की झलकियां प्रस्तुत की गयी है। इनमें समाज के करीब करीब हर पहलू को दर्शाने की कोशिश की गई है। राजशेखर वासु के छद्म नाम परशुराम द्वारा रचित इस बांग्ला पुस्तक की सुश्री रत्ना राय व सुश्री सरस्वती रानी दे द्वारा हिंदी में अनुवाद किया गया है। वहीं इसमाद प्रकाशन द्वारा इसे प्रकाशित किया गया है I

 

ISBN

9788194984542

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