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Praveen Kumar Jha Combo (Anniversary Edition)

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जेपी,  रिनेशाँ, दास्तान-ए-पाकिस्तान, जेपी, कैनेडी, आइलैंड, नीदरलैंड, और इंका एजेट्क और माया डॉ प्रवीण झा की किताब है । प्रवीण झा वर्तमान में नॉर्वे में विशेषज्ञ चिकित्सक हैं । लेकिन इन्‍हे अपनी रचनाओं में कठिन चीजों को भी आसानी से समझा पाने की कला है । इतिहास और देशाटन को केन्द्र  में रखकर लिखी गई उनकी तमाम पुस्तकें इतनी रुचिकर है कि आप सहज ही आनंदित हो उठेंगे । भारतीय नवजागरण,  जेपी के समाजवाद, पाकिस्‍तान के बंटवारे, अमेरिका का इतिहास, आइसलैंड और नीदरलैंड की यात्रा के बाद के इतिहास को समझने के लिये इससे अच्छी  पुस्तक इतनी आसान भाषा में अन्य कहीं मिल पाना मुश्किल है ।

काँम्बो के रूप में यह सातों पुस्तक पाठकों के विशेष मांग पर एक साथ उपलब्ध है ।

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Description

प्रवीण कुमार झा कॉम्‍बो (एनिवर्सरी एडिशन)

जेपी,  रिनेशाँ, दास्तान-ए-पाकिस्तान, जेपी, कैनेडी, आइलैंड, नीदरलैंड, और इंका एजेट्क और माया डॉ प्रवीण झा की किताब है । प्रवीण झा वर्तमान में नॉर्वे में विशेषज्ञ चिकित्सक हैं । लेकिन इन्‍हे अपनी रचनाओं में कठिन चीजों को भी आसानी से समझा पाने की कला है । इतिहास और देशाटन को केन्द्र  में रखकर लिखी गई उनकी तमाम पुस्तकें इतनी रुचिकर है कि आप सहज ही आनंदित हो उठेंगे । भारतीय नवजागरण,  जेपी के समाजवाद, पाकिस्‍तान के बंटवारे, अमेरिका का इतिहास, आइसलैंड और नीदरलैंड की यात्रा के बाद के इतिहास को समझने के लिये इससे अच्छी  पुस्तक इतनी आसान भाषा में अन्य कहीं मिल पाना मुश्किल है ।

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जयप्रकाश नारायण की कहानी आज़ादी से पूर्व और आज़ादी के बाद लगभग बराबर बँटी है।
जे पी को समझना देश को समझने के लिए एक आवश्यक कड़ी है। अगस्त क्रांति के नायक जिनका जीवन एक क्रांतिकारी मार्क्सवादी से गुजरते हुए गांधीवाद और समाजवाद के मध्य लौटता है, और पुनः एक लोकतांत्रिक क्रांति के बीज बोता है। एक ऐसे नायक की कथा जिनके स्वप्न और यथार्थ के मध्य एक द्वंद्व रहा, और कहीं ना कहीं यह देश भी उसी द्वंद्व से आज तक गुजर रहा है।

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रिनैशाँ अगर यूरोप में हुआ, तो भारत में यह एक सतत प्रक्रिया रही। यह मानना उचित नहीं कि भारत उस समय सो रहा था।

पेशे से डॉक्टर लेकिन मन से लेखक प्रवीण झा की यह किताब भारतीय इतिहास में रूचि रखने वालों के लिये एकदम सटीक किताब है । शोधार्थी भी इस पुस्तक से निश्चित ही लाभान्वित होंगे ।

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पाकिस्तान का इतिहास अक्सर विभाजन के इर्द-गिर्द भटक कर रह जाता है। जबकि यह एक देश के बनने की शुरुआत ही थी। 1947 के बाद पाकिस्तान का सफ़र कैसा रहा? किन-किन मील के पत्थरों से गुजरा? उन रास्तों में क्या-क्या मुश्किलें आयी? भारत में पढ़ाए जा रहे इतिहास, और पाकिस्तान में पढ़ाए जा रहे इतिहास में जो स्वाभाविक अंतर है, उस से अलग एक तीसरा बिंदु भी ढूँढा जा सकता है। वह बिंदु, जहाँ से शायद वह चीजें भी नज़र आए, जो इन दोनों देशों के रिश्तों के सामने धुंधली पड़ जाती है।

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कैनेडी नामक यह किताब अमेरिका के बनने से लेकर, वहाँ के गृह युद्ध, दोनों विश्व युद्ध से गुजरती शीत युद्ध तक आती है। भारत से अमेरिका के सम्बन्ध और भारत चीन युद्ध पर विशेष अंश हैं। अमेरिका के नस्लवाद और मार्टिन लूथर किंग की कहानी तो है ही, केनेडी का जीवन और मृत्यु भी इसकी रोचकता का महत्वपूर्ण अंश है। साथ ही साथ मर्लिन मुनरो और अमरीकी माफ़िया की कहानी इसे एक अलग दुनियाँ में ले जाती है।

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प्रवीण झा की यह किताब दुनिया की एक अजीबोगरीब देश से परिचय करवाती है । लेखक ने स्वयं दुनिया उस अनोखे और रहस्यमय द्वीप की यात्रा की है जहाँ आज भी भूतों, तंत्र-मंत्र और पारानॉर्मल धारणाएँ पल रही हैं और जहाँ नॉर्स देव-भाषा में संवाद होता है। लेखक उस यात्रा में स्वयं एक ऐसी धरती से रु-ब-रु होते हैं जहाँ अप्रत्याशित भूकंप, तूफान और बर्फीले वीरान के साथ कुछ ऐसा महसूस होता है जो प्राकृतिक नहीं है। यह किताब मात्र भूतों की कहानी नहीं है बल्कि एक अजीब और अलौकिक ट्रैवेलोग है जहाँ हर पल रोमांच है । यह एक यात्रा-संस्मरण न होकर एक मन में चल रहा भाष्य है। भिन्न संस्कृतियों के साम्य और द्वंद्व का चित्रण है।

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आईसलैंड के भूतों के बाद यह अगला सफर नीदरलैंड के नास्तिकों की तफ़्तीश में है। इस सफर में वह नास्तिकों, गंजेड़ियों और नशेड़ियों से गुजरते वेश्याओं और डच संस्कृति की विचित्रता पर आधी नींद में लिखते नजर आते हैं। किताब का ढाँचा उनकी चिर-परिचित खिलंदड़ शैली में है, और विवरण में सूक्ष्म भाव पिरोए गए हैं। यह एक यात्रा-संस्मरण न होकर एक मन में चल रहा भाष्य है। भिन्न संस्कृतियों के साम्य और द्वंद्व का चित्रण है। इसी कड़ी में उनका सफर एक खोई भारतीयता का सतही शोध भी करता नजर आता है।

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America is a superpower in the modern world, but who lived there centuries ago? What was the civilization that Columbus considered Indian? Were they also at par with other civilizations of the world?

 

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