History

Khandwala Rajvansha, Mithilabhashamay itihas

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Khandavala Rajavansh: Mithilabhashamaya Itihas

Original price was: ₹599.00.Current price is: ₹500.00.
मिथिला के इतिहास को समझने के लिये यह किताब एक एन्साइक्लोपीडिया है । बिना इस पुस्तक के तिरहुत का इतिहास अधुरा माना जाएगा । All books are shipped within 2-3 days of receiving an order.
Mansaushadhi

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हाल के वर्षों में हो रहे तमाम सामाजिक राजनीतिक आर्थिक टकरावों के बीच वह बुद्धिज्म की ओर आकर्षित हुए और वैदिक व्यवस्था, श्रमण व्यवस्था, वैष्णववाद, शैववाद, सनातन धर्म, हिन्दू धर्म सहित विभिन्न व्यवस्थाओं के बारे में अध्ययन किया,जिसमें भारत में रहने वाले लोगों के खानपान, रहन-सहन चिकित्सा प्रणाली जैसे व्यापक विषय शामिल हैं। शाकाहार बनाम मांसाहार और खानपान को लेकर हिंसक बहस ने उन्हें भारत में मांसाहार पर अध्ययन करने को प्रेरित किया। शाकाहार के प्रबल पैरोकार सत्येन्द्र ने आयुर्वेद में मांस और मांसौषधियों का अध्ययन किया जिसमें मांसाहार को लेकर उनकी खुद की तमाम भ्रांतियां टूटी हैं। उम्मीद है कि आयुर्वेद और चिकित्सा के अध्येताओं और आम पाठकों के लिए सरल और बोधगम्य तरीके से लिखी गई यह पुस्तक उपयोगी व ज्ञानवर्धक होगी।
Mithila EK Khoj Esamaad Prakashan front

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Mithila Ek Khoj

Original price was: ₹499.00.Current price is: ₹450.00.
A lecture series dedicated to the great literary figure of Mithila - Acharya Ramanath Jha. The book sheds light on various topics that are associated with the said regions and are of great historical value with national importance. All books are shipped within 2-3 days of receiving an order.  
Mithila Ki Ranbhumi, Mithila, Mantunma, Sunil Kumar Bhanu,

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Mithila Ki Ranbhumi

Original price was: ₹249.00.Current price is: ₹248.00.
"मिथिला की रणभूमि" मिथिला के योद्धाओं की शौर्य गाथा को आप तक लाने का प्रयास है । विदेह से लेकर खण्डवला राजवंश तक के युद्ध इतिहास को इसमें दिखाने का प्रयास किया गया है । यह पुस्तक एक दस्तावेज ही नहीं बल्कि सुधी पाठकों के लिए उनके शक्तिशाली अतीत का एक सम्पूर्ण ज्ञानकोष भी साबित होगा ।" Expected Time of Delivery: Within 10-14 Days
Mithila Ki Lok Chitrakalayen, Laxminath Jha, Mithila Painting

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Mithila Ki Sanskrtika Lok Citrakala

Original price was: ₹1,500.00.Current price is: ₹1,499.00.
पण्डित लक्ष्मीनाथ झा विरचित 'मिथिला की सांस्कृतिक लोकचित्रकला' अपनी कतिपय विशेषताओं के कारण कला-जगत की एक अनुपम कृति है। मिथिला की लोककला से सम्बद्ध 45 रंगीन चित्रों से सुसज्जित तथा  वैदिक, पौराणिक, तांत्रिक एवं कतिपय अन्य शास्त्रीय प्रमाणों से सम्पुष्ट तथ्यों के आधार पर विगत सदी के छठे दशक के आरम्भिक कालखण्ड में रचित व प्रकाशित एक कालजयी पुस्तक है । Expected Time of Delivery: Within 10-14 Days
Neatherland, Praveen Kumar Jha

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Nastikon ke desh mein: Netherlands

Original price was: ₹149.00.Current price is: ₹139.00.
लेखक प्रवीण झा शहरों और देशों के विचित्र पहलूओं में रुचि रखते हैं। आईसलैंड के भूतों के बाद यह अगला सफर नीदरलैंड के नास्तिकों की तफ़्तीश में है। इस सफर में वह नास्तिकों, गंजेड़ियों और नशेड़ियों से गुजरते वेश्याओं और डच संस्कृति की विचित्रता पर आधी नींद में लिखते नजर आते हैं। किताब का ढाँचा उनकी चिर-परिचित खिलंदड़ शैली में है, और विवरण में सूक्ष्म भाव पिरोए गए हैं। यह एक यात्रा-संस्मरण न होकर एक मन में चल रहा भाष्य है। भिन्न संस्कृतियों के साम्य और द्वंद्व का चित्रण है। इसी कड़ी में उनका सफर एक खोई भारतीयता का सतही शोध भी करता नजर आता है। This book will be dispatched within 7 Days of placing an order
Nitish Ke Sath Yatrayen

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Nitish Ke Sath Yatrayen

Original price was: ₹549.00.Current price is: ₹499.00.
यह किताब नीतीश कुमार और उनके शासन व्‍यवस्‍था को समझने के लिये एक एनसाइक्‍लोपीडि‍या की तरह है। नीतीश कुमार ने अपने राजनैतिक जीवन के दौरान जितनी भी यात्राएं की है इसमें उनका विस्‍तार दिया गया है। अगर राजनीति में रूचि है तो इस किताब को एकबार जरूर पढ़ना चाहिये ।
Praveen Jha Combo, esamaad Combo,

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Praveen Kumar Jha Combo (Anniversary Edition)

Original price was: ₹1,544.00.Current price is: ₹1,080.00.
जेपी,  रिनेशाँ, दास्तान-ए-पाकिस्तान, जेपी, कैनेडी, आइलैंड, नीदरलैंड, और इंका एजेट्क और माया डॉ प्रवीण झा की किताब है । प्रवीण झा वर्तमान में नॉर्वे में विशेषज्ञ चिकित्सक हैं । लेकिन इन्‍हे अपनी रचनाओं में कठिन चीजों को भी आसानी से समझा पाने की कला है । इतिहास और देशाटन को केन्द्र  में रखकर लिखी गई उनकी तमाम पुस्तकें इतनी रुचिकर है कि आप सहज ही आनंदित हो उठेंगे । भारतीय नवजागरण,  जेपी के समाजवाद, पाकिस्‍तान के बंटवारे, अमेरिका का इतिहास, आइसलैंड और नीदरलैंड की यात्रा के बाद के इतिहास को समझने के लिये इससे अच्छी  पुस्तक इतनी आसान भाषा में अन्य कहीं मिल पाना मुश्किल है । काँम्बो के रूप में यह सातों पुस्तक पाठकों के विशेष मांग पर एक साथ उपलब्ध है । All books are shipped within 2-3days of receiving an order
Renaissance, Bhartiya Navjagran Ki Dastan

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Renaissance – Bhartiya Navjagran Kee Dastaan

Original price was: ₹199.00.Current price is: ₹149.00.
रिनैशाँ अगर यूरोप में हुआ, तो भारत में यह एक सतत प्रक्रिया रही। यह मानना उचित नहीं कि भारत उस समय सो रहा था। पेशे से डॉक्टर लेकिन मन से लेखक प्रवीण झा की यह किताब भारतीय इतिहास में रूचि रखने वालों के लिये एकदम सटीक किताब है । शोधार्थी भी इस पुस्तक से निश्चित ही लाभान्वित होंगे । Expected Time of Delivery: Within 10-14 Days
Social History of Mithila

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Social History of Mithila

Original price was: ₹350.00.Current price is: ₹349.00.
With a fresh perspective, the book’s core strength lies in its use of hitherto untapped source material for reconstructing a relatively neglected period of Mithila’s history, 14th to 16th century. The period is significant for Maithil society as the social divisions crystallized in new forms. The book particularly focuses on two groups—Maithil Brahmins and Karna Kayasthas—to study this crystallization. Towards this end, the author elaborately discusses ‘panji’ texts (the corpus that deal with genealogical records of specific sections of maithil Brahmins and kayasthas). Perhaps, this was the first time, a historian used Panji accounts in such a detailed manner when the book was orginally written as a doctoral thesis in 1969.
The Crisis of Succession

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The Crisis of Succession : Palace Intrigues

Original price was: ₹749.00.Current price is: ₹649.00.
Mithila as a region is far greater in expanse than the mere physical boundaries of the Raj  Darbhanga. But Darbhanga was always considered as the representative of the ancient Mithila. The last dynasty to rule from Darbhanga was known as the ‘Khandavala’ and it had produced eighteen illustrious personalities who adorned the throne of  Mithila Raj. Sir Kameshwar Singh was the last Maharajadhiraja and after his sudden and mysterious death on 1st October, 1962, the dynasty came to an abrupt end, though the era  of monarchy had ceased to exist for all  practical purposes on 15 August, 1947, when India, after getting independent from the colonial rule of Britain, decided to adopt democracy for governance. The socio-economic-political and cultural life of the people of Mithila had always been inextricably intertwined with the  power ruling Mithila. These illustrious rulers  were instrumental in establishing and continuation of supremacy of knowledge over economy or polity. Mithila, being primarily a peasant society, flirted in a big way with industrialization between 1840 and till the end of 1960s, only to end up being one of the poorest and most under-developed regions of India. This book tries to look into the factors and conditions which led to, not only the end  of the dynasty, but also the fall of this great cultural zone which had risen like a meteor on the national stage, and dominated the political/cultural/economic movement from  1879 to 1960s. It tries to explore the inter-personal aspirations and intrigues due to ambition without ability of the members of the first family, through the - diaries/ documents/ letters, etc. It tries to bring to the fore, the events and change in mind-set of the  people as the “Yuga of monarchy’ comes to an end and “Yuga of democracy’ takes over. The book raises questions and cajoles the readers  to have a rational view on the era and the dominating events.
The Headmaster, Ambikanath Misrah

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The Headmaster (Ambikanath Mishra Birth Centenary Memorial Volume)

Original price was: ₹999.00.Current price is: ₹899.00.
This book 'the Headmaster' is of its own kind and a rare collection of some of the most attractive and brilliant papers well researched by eminent scholars concerned. This intellectual tribute to the cherished memory of Ambikanath Mishra , the most talked about headmaster of his era, will by all means go a very long way in the history of commemorative writings. This multilingual book is divided into 3 parts and running into 640 pages containing more than 117 academic , scholarly articles and memoirs  by renowned intellectuals.  Throwing light on almost all significant branches of learning, this unique book has proved to be an asset to any individual and institiuaional collection.

द हेडमास्टर मिथिला के प्रख्यात विभूति अयाची मिश्र के वंशज मास्टर साहेब के नाम से मशहूर श्री अम्बिकानाथ मिश्र की 100वीं जयंती पर देश विदेश में फैले उनके छात्रों की ओर से तर्पण है। इस ग्रंथ में तीन भाषाओं यथा मैथिली, हिन्दी और अंग्रेजी का समावेश है। देश विदेश में विभिन्न पदों पर विराजमान श्री अम्बिकानाथ मिश्र के शिष्यों ने इस ग्रंथ के रूप में कुल 117 शोधपरक आलेखों का अनमोल तर्पण दिया है। इसमाद प्रकाशन इस अनमोल ग्रंथ को छापकर गौरवान्वित महसूस कर रहा है।

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